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हमारे हिंदू धर्म में तुलसी की पूजा क्यों की जाती है? क्यों तुलसी को गुणकारी माना जाता है?हमारे हिंदू धर्म में तुलसी की पूजा क्यों की जाती है? क्यों तुलसी को गुणकारी माना जाता है?

हमारे हिंदू धर्म में तुलसी की पूजा क्यों की जाती है? क्यों तुलसी को गुणकारी माना जाता है?

हमारे हिंदू धर्म में तुलसी की पूजा क्यों की जाती है? क्यों तुलसी को गुणकारी माना जाता है?
हमारे हिंदू धर्म में तुलसी की पूजा क्यों की जाती है? क्यों तुलसी को गुणकारी माना जाता है?

हमारे हिंदू धर्म में शास्त्रों में वर्णित है।कि, तुलसी का पौधा आपने घर में आंगन में या आस पास की जगहों में लगाने से धन की देवी मां लक्ष्मी का वास होता है। जिस घर में तुलसी का पौधा होता है। उस घर में कभी भी किसी भी प्रकार का आर्थिक संकट पैदा नहीं होता है। और इतना ही नही तुलसी मां के पौधे को प्रेम विष्णु प्रिया के नाम से भी जाना जाता है। हमारे हिंदू धर्म,शास्त्रों में लोगो का ऐसा मानना है। कि, अगर कोई तुलसी की पूजा करते है। तो भगवान विष्णु प्रसन्न होकर अपना आशीर्वाद बनाए रखते है। दोस्तों आप सभी को पता है।कि, हम सभी लोग तुलसी का पूजन अपने मन की श्रद्धा से ही करते हैं। लेकिन शायद आपको यह पता नहीं होगा। कि तुलसी पूजन क्यों करना चाहिए? तुलसी की पुजा करने से क्या फायदा होता है? आइए जानते है? क्यू करनी चाहिए तुलसी की पूजा करने से क्या फायदा होता है? तुलसी कितने प्रकार की होती है?

1.तुलसी की पूजा क्यों करना चाहिए?

हिन्दू धर्म में वेद पुराणों में तुलसी के पौधे को बहुत ही पवित्र और गुणकारी माना गया है। और आप सभी को पहले ही बता दिया है। कि, तुलसी की पुजा विष्णु भगवान के नाम से जुड़ने के कारण किया जाता है। लोगो की मान्यता है। कि, जब भगवान विष्णु को कुछ भी अर्पीत किया जाता है। तब उसमे तुलसी की कुछ पत्तियों को डाल दिया जाता है। अन्यथा भगवान विष्णु उस अर्पित भोग को स्वीकार नहीं करते है। तुलसी के पत्ते बहुत ही असरदार और गुणकारी औषधि के रूप में भी उपयोग किया जाता है।
लोगो का कहना है।कि, इस तुलसी पूजन के बहुत बडी कहानी है।

एक समय की बात है। जलधार नाम का एक आशूर था। जो बहुत ही जायदा शक्तिशाली और बलवान था, लोगो का कहना है। कि उसको खुद शक्ति के अलावा अपने पत्नी की भी शक्तियों का वरदान प्राप्त था। जलधार नामक आशूर की पत्नी बहुत ही गुणी और शर्वगुण सम्पन्न थी।
असुर की पत्नी भगवान विष्णु की बहुत ही परम भक्त थी। वह सदैव प्रभु विष्णु के भक्ति में लीन रहती थी। एक बार असुर और सभी देवताओं के बीच बहुत ही भयंकर युद्ध हुआ। लेकिन सभी देवता गण इस युद्ध को असुरों से जितने में असमर्थ थे। युद्ध जीतना इतना आसान नहीं था, युद्ध न जितने का कारण यह था। की, बृंदा की आध्यात्मिक शक्तियां जलधार की सदैव रक्षा करती थी। देवताओं के द्वारा जलधार को मारने के लिए पहले उसकी पवित्रता को भंग करना पड़ेगा। जलधार को मारने के लिए , भगवान विष्णु ने एक बार जलधार के रूप को धारण करके, बृंदा के पास पहुंचे। वृंदा अपने पति के रूप को धारण किए भगवान विष्णु को नही पहचान पाती है। जिसके कारण सभी देवता गण जलधार को मारने में पूर्ण रूप से समर्थ हो गए।

असुर जलधार के मृत्यु के बाद जब भगवान विष्णु अपने असली रूप में आते है। और वृंदा को इस बात का आभास होता है। कि उनके पति के रूप को धारण करके भगवान विष्णु है। और उनकी यह भी पता चलता है। कि उनके पति जलधार का वध देवताओं ने छल से किया है, तो वृंदा क्रोध से लाल हो जाती है। और भगवान विष्णु को पत्थर में बदल जानें का कठोर श्राप दे देती है। भगवान विष्णु ने इस कठोर श्राप को स्वीकार किया। और भगवान विष्णु ने वृंदा के पति जलधार के पिछले जन्म की कहानी को सुनाते है। वृंदा को बताया कि देवताओं ने उसके पति को क्यों मारा। जिसको सुनने के बाद वृंदा ने बहुत ही पाश्चताप किया और भगवान विष्णु को श्राप से मुक्त कर दिया। और उसने अपने इस गलती की माफी भी मांगी। लेकिन पति के मृत्यु के। बाद वृंदा जीवित नहीं रहना चाहती है। इसलिए वह अपने इस शरीर का त्याग करना चाटी थी।

वृंदा के इस परम भक्ति से प्रसन्न होकर भगवान विष्णु ने वृंदा को वरदान दिया कि, वृंदा के राख के भस्म से एक तुलसी का पौधा उत्पन्न होगा। और इस तुलसी के पौधे का विवाह शालिग्राम में होगा। जो स्वयं में भगवान विष्णु के रुप में उत्पन्न है। भगवान विष्णु ने वृंदा से यह भी कहा कि, बिना उसके पत्ते के कोई प्रसाद को स्विकार नही किया जाएगा। इसलिए हमारे हिंदू धर्म शास्त्रों में तुलसी के पौधे का पूजा किया जाता है। और इनका विवाह कार्तिक महीने में शालिग्राम में होती है।

तुलसी के पौधे का सम्बन्ध माता लक्ष्मी से भी है:–

हिंदू धर्म शास्त्रों में तुलसी के पौधे को माता लक्ष्मी के साथ संबंध बताया गया है। और लोगो का ऐसा मानना है कि, जो लोग शांति और सुखमय जीवन प्राप्त करना चाहते हैं, वे लोग तुलसी के पौधे को अपने घर के आंगन में लगाते है। जिन लोगो के घरों में तुलसी का पौधा होता है। उनके घर में माता लक्ष्मी का वास होता है। और धन की वर्षा होती है।

तुलसी और धर्म शास्त्रों से क्या सम्बन्ध है?

लोगो का मानना है कि, धार्मिक और सांस्कृतिक वेदों में तुलसी को स्वर्ग और पृथ्वी के बीच का प्रवेश द्वार माना जाता है। हिंदू धर्म के शास्त्रों में बताया गया है। कि तुलसी के निचले भाग में अन्य साखाओ में सभी देवी देवताओं का वास होता है। तुलसी के पौधे को एक हिस्से को पूजनीय बताया गया है। तो दूसरी तरफ इसका शास्त्रों में इसके पूजा का विधान भी बताया गया है। बड़े बुजुर्गो का कहना है कि, धर्म शास्त्रों में तुलसी के पौधे को हिंदू धर्म शास्त्रों में सबसे पवित्र पौधा है।

तुलसी कितने प्रकार की होती है –

तुलसी के पौधे पांच प्रकार के होते है।
1. राम तुलसी
2. श्यामल तुलसी
3. विष्णु तुलसी
4. वन तुलसी
5. नींबू तुलसी
तुलसी के इन पांचों प्रकार को अगर इनका अर्थ  निकाला जाए तो, पूरे विश्व सबसे अधिक और प्रभाव शाली दवाओं का निर्माण हो सकता है।

सभी प्रकार की तुलसियो को कैसे पहचाने:–
आप इन सभी तुलसियों का पहचान बहुत ही आसानी से कर सकते है।

1.राम तुलसी की पहचान कैसे करें?
जिस तुलसी के पौधे का पत्ती बिलकुल हरी दिखाई पड़ती है। उस तुलसी के पौधे को राम तुलसी या उज्जवल तुलसी के नाम से भी जाना जाता है। राम तुलसी के पत्ते को खाने के बाद इसकी पत्तियों में थोड़ा मीठापन होता है। राम तुलसी का इस्तेमाल पूजा पाठ में किया जाता है।इस तुलसी का पूजन करने से घर में सुख शांति बनी रहती है।

राम तुलसी की पहचान कैसे करें?
राम तुलसी की पहचान कैसे करें?

2. श्यामल तुलसी की पहचान कैसे करें?
श्यामल तुलसी की पत्तियां श्यामल रंग की बैंगनी रंग की होती है। जिसके कारण इसे श्याम तुलसी कही जाती है। इस तुलसी के पौधे को कृष्ण तुलसी के नाम से भी पुकारा जाता है। क्योंकि इस पत्तियों का रंग सवाला होता है।

श्यामल तुलसी की पहचान कैसे करें
श्यामल तुलसी की पहचान कैसे करें

3. विष्णु या श्वेत तुलसी की पहचान कैसे करें?
इस श्वेत तुलसी को विष्णु तुलसी के नाम से भी जाना जाता है। यह तुलसी बहुत ही गुणकारी होता है। यह बच्चो के खासी,जुकाम, और कफ आदि में इसका प्रयोग किया जाता है। इस तुलसी को बहुत ही आसानी से पहचाना जा सकता है। क्युकी इस तुलसी में फूल निकल आते है। तो यह उस समय सफेद हो जाता है। लोगो की मान्यता है, कि इसमें विद्युत प्रवाह होता है।

विष्णु या श्वेत तुलसी की पहचान कैसे करें
विष्णु या श्वेत तुलसी की पहचान कैसे करें

4. वन तुलसी की पहचान कैसे करें?
इस वन तुलसी को जंगली तुलसी की नाम से जाना जाता है। इसकी खुशबू बहुत ही अच्छी होती है। यह अधिकतर जंगलों में ही पाए जाते है। इस पौधे की लंबाई 60–70 सेंटीमीटर के आस पास होता है। इस वन तुलसी में पुरे वर्ष भर भूल और फल लगे होते है। फूल के बैंगनी रंग के साथ साथ बहुत ही सुगंधित होता है। लोगो की मान्यता है कि इस पौधे को अपने घर के आंगन में लगाना वर्जित है।

वन तुलसी की पहचान कैसे करें
वन तुलसी की पहचान कैसे करें

5. निब्मू तुलसी की पहचान कैसे करें?
इस तुलसी को लेमन ग्रास दोनो प्रकार के गुण पाए जाते है। इस तुलसी की पत्ती का स्वाद नींबू के जैसा होता है। इस तुलसी के पौधे में विटामीन C की मात्रा भरपूर पाई जाती है।

निब्मू तुलसी की पहचान कैसे करें
निब्मू तुलसी की पहचान कैसे करें

 

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